उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही लोक आस्था का महापर्व छठ संपन्न हुआ…

सौरभ द्विवेदी

सूरजपुर- लोक आस्था का महापर्व छठ संपन्न हुआ. शुक्रवार सुबह छठ पूजा का दूसरा और आखिरी अर्घ्य दिया गया. उदीयमान भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही चार दिनों का छठ पर्व संपन्न हो गया. उगते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए लोगों की भीड़ रेणुका नदी के छठ घाट पर जुटी थी. छठ घाट पर रंग-बिरंगी लाइट और फूल मालाओं से सजे थे. सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रती उपवास खोलें साथ ही प्रसाद ग्रहण किये.

आज सुबह तीन बजे के बाद से ही रेणुका नदी के छठ घाट पर व्रती जुटने लगे. भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के लिए लोगों में काफी उत्साह देखा गया. भगवान सूर्य के उदय होने के पहले सभी जगहों पर व्रती सूप में फल नैवेद्य और पूजन सामग्री लेकर भगवान सूर्य की ओर मुंह करके खड़ी हो गईं. इस दौरान सभी ने भगवान सूर्य का ध्यान करते हुए सूप के किनारे गंगा जल और दूध से अर्घ्‍य दिया. 

छठ पूजा पूरी दुनिया का इकलौता ऐसा पर्व है जिसमें उगते सूरज के साथ डूबते सूरज की भी वंदना की जाती है, जल अर्पित किया जाता है. प्रकृति की वंदना का पर्व छठ यूं तो भारत के पूर्वांचल इलाके में ही मनाया जाता था लेकिन ग्लोबल होती दुनिया और संस्कृतियों के संगम के दौर में छठ अब महापर्व बनकर सूरजपुर जिले में धूमधाम से मनाया जाता है. इस पर्व में धरती पर ऊर्जा का संचार करने वाले भगवान भास्कर की पूजा-अर्चना की जाती है. 

इस पर्व की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें धार्मिक भेदभाव, ऊंच-नीच, जात-पात को भुलाकर लोग एक साथ जलाशयों में मनाते हैं. कार्तिक महीने की षष्ठी को होने वाली छठ पूजा भारत में सूर्योपासना के लिए प्रसिद्ध पर्व है. यह बदलते हुए मौसम और पर्यावरण के सर्वथा अनुकूल पर्व है. यह वही समय है जब सर्दी शुरू होती है और हमारे जीवन के लिए सूर्य की गर्मी का महत्व बढ़ जाता है.

आपको बता दें कि हर साल दिपावली के छठे दिन यानी कार्तिक शुक्ल की षष्ठी को छठ पर्व मनाया जाता है. छठी मइया की पूजा की शुरुआत चतुर्थी को नहाए-खाय से होती है. इसके अगले दिन खरना या लोहंडा (इसमें प्रसाद में गन्ने के रस से बनी खीर दी जाती है). षष्ठी शाम और सप्तमी सुबह को सूर्य देव को अर्घ्य देकर छठ पूजा की समाप्ति की जाती है.  सूर्य  देव को अर्घ्य देने के लिए सूरजपुर जिले के विभिन्न क्षेत्र के सभी घाटों पर छठ व्रतियों की भीड़ उमड़ी. जहां श्रद्धालुओं ने विधि-विधान से पूजा-पाठ कर छठ का महापर्व मनाया.