बैकुण्ठपुर- जिले में अंगद के पांव की तरह विभिन्न विभागों में पदस्थ अधिकारी कर्मचारी बीते कई वर्षों से एक ही जगह पर जमे हुए हैं जबकि कई दफा इनका स्थानतरण भी हो चुका है लेकिन नियमों को ताक पर रखकर कभी राजनीतिक रसूख तो कभी आला अधिकारियों के संरक्षण की वजह से कार्यमुक्त ना होकर जमे हुए हैं। जबकि नियमों के साथ साथ चुनावी वर्ष में 3 वर्ष से एक ही स्थान पर पदस्थ शासकीय कर्मचारी चाहे वह अधिकारी या अन्य पद पर पदस्थ हो उसका स्थानांतरण नियमानुसार होता है लेकिन जिले में नियम केवल कागजों तक ही सीमित रह गए हैं।गौर करने वाली बात है कि एक तरफ शासन ने सरकारी कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने और कामकाज में पारदर्शिता लाने के मकसद से तबादला नीति बनाई। इसके अंतर्गत एक जिले में तीन साल और संभाग में छह साल पूरा करने वाले अधिकारी, कर्मचारियों को स्थानांतरण पर काम शुरू किया। इस नीति में तमाम विभागों में अधिकारी, कर्मचारी इधर-उधर हो गए। इससे पीएचई, शिक्षा विभाग सहित दर्जनों कार्यालय ऐसे है जहां स्थानांतरित हुए कर्मचारी व अधिकारी टीके हुए है, विडंबना यह है कि जिले के कई अधिकारी कर्मचारी ऐसे भी हैं जिन पर कार्यों में लापरवाही सहित योजनाओं में भ्रष्टाचार करने सहित संलिप्त होने के आरोप तक लग चुके हैं, फिर भी अधिकारी, कर्मचारी अपना क्षेत्र छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। इन पर राजनीतिक सहित विभागीय अधिकारियों का संरक्षण की बातें भी सामने आतेे रहा है । ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है, इससे पहले भी विगत दो तीन वर्षो से स्थानांतरण नीति में कई अधिकारी, कर्मचारियों का तबादला हुआ था। इस दौरान स्थानांतरित अधिकारी, कर्मचारियों नें अपना कार्यक्षेत्र नहीं छोड़ा था। कुछ जिला कार्यालयों के अधिकारी व कर्मचारी को एकतरफा कार्यमुक्त कर दिया गया था। उसके बाद भी वह आला अधिकारियों केे नजरें इनायत के कारण अभी भी यहीं डटे हुए है। इस बार फिर वह तबादला नीति में फस गए किन्तु अभी भी पिछली बार की तरह वह इसबार भी नहीं जाना चाहते। अगर इस मसले पर विभागीय अधिकारियों से पूछा जाए तो कभी कर्मचारियों की कमी तो कभी अन्य बहाने बता कर इनका संरक्षण करते रहते हैं।
विभागो में मनमानी नीति हावी
स्थानांतरण के बाद भी कार्यालयों मे अंगद के पैर की तरह जमे व शासकिय योजनाओं सहित कार्यों में भ्रष्टाचार करने वाले कर्मियों के उपर सास के नियमों की जगह मनमानी नियम खुले तौर पर दिखता है फिर भी इन पर कार्रवाई आज तक ना होने के कारण इनकी मनमानी हर दफा सामने आते रहती हैं
कार्यालयों मे वर्षों से नहीं हुआ तबादला
जिले मे कई ऐसे शासकिय कार्यालय है जहां संलग्निकरण के तहत पदस्थ अधिकारी कर्मचारी बीते कई वर्षों से अंगद के पैर की तरह जमे हुए है। यहां पर शासकिय कार्यालयों मे कार्यरत अधिकांश कर्मचारियों , वरिष्ठ लिपिक , सहायक ग्रेड तीन, , नियमित शिक्षक, शिक्षाकर्मी वर्ग एक के कर्मचारी स्कूलों मे अध्यापन कार्य व लिपिक के पद पर कार्य करते हुए 10 से 15 साल हो गए हैं। ऐसे कर्मचारियों के तबादले होते हैं, लेकिन उन्हें हटाया नहीं जाता है। इसी का कारण है की शासकिय कार्यालयों मे जम कर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहते हैं । शिकायत के बाद भी ऐसे लोगों पर कार्यवाही नही होती यदि होती भी है तो अधिकारी खानापूर्ति कर मामले को दबाने का प्रयास किया जाता है।
क्या निष्पक्ष हो पाएगा चुनाव…….?
बीते कई वर्षों से जिले के अलग-अलग विभागों में पदस्थ अधिकारी कर्मचारी हमेशा राजनीतिक संरक्षण के कारण एक ही स्थान पर जमे हुए हैं । वहीं दूसरी तरफ वर्तमान समय में विधानसभा चुनाव में ज्यादा दिन नहीं है वैसे में इन कर्मचारियों अधिकारियों के रहते चुनाव जैसे संवेदनशील कार्य में निष्पक्ष पूर्ण कार्य संपादन होगा ऐसा संदेह जरूर सामने आ रहा है ।