स्पर्श क्लिनिक में 147लोगों का हुआ उपचार….स्पर्श क्लिनिक मानसिक स्वास्थ्य का केन्द्र….

सूरजपुर-शारीरिक रोगों के ईलाज के लिए लोग स्वास्थय केन्द्रों में जाते हैं लेकिन जहाँ बात आती है मानसिक स्वास्थय की तो सब कल पर छोड़ देते हैं| कोई ईलाज भी करवाना भी चाहे तो समाज के दर से या फिर जानकारी के अभाव में करवाते ही नहीं है जब तक स्थिति काफी बिगड़ जाती है|समाज में यह धारणा है कि हर मानसिक रोग पागलपन होता है जबकि यह सोच ही गलत है| मानसिक रोग भी शारीरिक रोग की तरह सही समय पर ईलाज से ठीक हो सकता है| ज़रुरत है तो इसको समझने की और सही जगह से उपचार करवाने की| सरकार सवार चलाये जा रहे स्पर्श क्लिनिक एक ऐसी जगह है जहाँ मास्निक रोगों का उपचार निशुल्क किया जाता है और रोगी का नाम भी गुप्त रखा जाता है|राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत चलाये जा रहे स्पर्श क्लिनिक का उदेदश्य लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति सचेत करना एवं मानसिक रोग से ग्रसित लोगों को उचित उपचार देकर समाज में दोबारा से स्थापित करना है ।

जिला चिकित्सालय सूरजपुर में स्थापित स्पर्श क्लीनिक पर प्रतिदिन 8 से 10 मरीज आते है । रोगी आकर अपने मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं को बताते है जिसके अनुसार उनका उपचार या काउंसलिंग की जाती है। डा.राजेश पैकरा नोडल अधिकारी जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम सूरजपुर ने बताया जिला चिकित्सालय, सूरजपुर में स्पर्श क्लिनिक के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम को एक नई गति प्रदान की जा रही है। इस कार्यक्रम के तहत मीनिया सिक्जोफ्रेनिया, तम्बाकू और नशीले पदार्थों का इस्तेमाल,और डिप्रेशन के मरीजों का नियमित इलाज किया जा रहा है ।स्वास्थय विभाग से  प्राप्त जानकारी के अनुसार विगत माह जनवरी में  कुल 147 लोगों का स्पर्श क्लिनिक में उपचार किया गया|इनमेंआत्महत्या या आत्महत्या के प्रयास के 17रोगी,तम्बाकू के नशे के आदि के 23, शराब के आदी11,तनाव ग्रस्त09,सायकोसिस के 07,न्युरोसिस के 06रोगियों सहित अन्य मानसिक रोगी थे| मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी सूरजपुर डॉ. आर.एस सिंह ने बताया जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत स्पर्श क्लीनिकडिप्रेशन या किसी भी प्रकार के मानसिक रोग के उपचार के लिए जिला चिकित्सालय में है,इसके अलावा जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत स्कूलों में भी जीवन कौशल के प्रशिक्षण का आयोजन किया जाता है  जिसमें स्टूडेंट से खुली चर्चा के माध्यम से यह पता लगाया जाता है कि कोई बच्चा डिप्रेशन या किसी अन्य मानसिक रोग से ग्रसित तो नहीं है।अगर ऐसा होता है तो उसकी तुरंत काउंसलिंग करवाई जाती है।मानसिक रोग तो भविष्य का रोग बताया जाने लगा है|मानसिक रोग कई प्रकार के होते है जैसे अवसाद या फिर साय्कोसिस| अधिक तनाव भी मानसिक अस्वस्थता का एक रूप है और इसके चलते तो कई बार व्यक्ति अपनी ज़िन्दगी का अंत तक कर सकता है|