राजेश सोनी
सूरजपुर. नगर का कोतवाली थाना का नाटक नौटंकी ड्रामा हर किसी ने देखा. कानून को तमाशा बनाता रहा और बनाते रहे खाखीधारी. रात में हुई तमाशा नॉटंकी से हर कोई हैरान है. हालांकि पुलिस के उच्चाधिकारी भी शामिल रहे. यह सब कुछ होता रहा आरोपियों को बचने बचाने के लिए, जब गुनाहगारों को बचाने एक समाज आ जाये तो उस समाज का क्या हर्ष होगा यह सोचनीय पहलू है. आरोपियों के समर्थन में भीड, समाज का डॉक्टरों को ये कैसा संदेश है..? होली के संध्या नशे धूत में कुछ रंगबाजो ने ड्यूटी डॉक्टर के साथ जमकर मारपीट की घटना की. उन्हें दारु का ज्यादा नशा था या अपने रसूख का. पुलिस ने FIR भी दर्ज कर ली और आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार भी कर लिया। लेकिन इसके बाद इन रसूखदार आरोपियों को बचाने के लिए लोग इकट्ठे हो गए. क्या आज समाज को सरकारी अस्पताल में ड्यूटी करने वाले डॉक्टर के बजाए बिगड़ैल रसूखदार नेता की ज्यादा जरूरत है? क्या आज समाज को एक पढ़े लिखे सभ्य आदमी के बजाए गाली गलौच करके दो वोट दिला देने वाले बिगड़ैल नेता की ज्यादा जरूरत है? क्या सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी बताने वाले डॉक्टरों स्वास्थ कर्मियों के उत्पीड़न से कोई सरोकार नही है? हकीकत में आज समाज की असली जरूरत बिगड़ैल रसूखदार स्थानीय नेता हैं? इस घटना के बाद आरोपियों को बचाने आई भीड़ का संदेश तो यही है. कानून इंसानियत को तार तार करते इस कृत्य से खाखी कलंकित हो गई. चंद पैसे के लिए जान लेने से नही चुकने वाली खाखी से आम जनमानस का भरोसा डगमगा गया है. फिलहाल समाज के भीड़ के आगे सरेंडर हुई पुलिस ने रात 3 बजे पकड़े गए आरोपियों घर जाने दिया है अगर ऐसे भी भीड़ के आगे पुलिस दबती रही तो आगे क्या होगा लेकिन इस बीच आरोपियों के साथ कोई वारदात हो जाता है तो क्या जिम्मेदार पुलिस की है या समाज की ….यह गृह मंत्रालय बताएगा।