दुर्लभ वन्य जीव पेंगोलिन के शिल्क के साथ 3 आरोपी गिरफ्तार…

सूरजपुर. जिले में एक बार फिर वन विभाग के मौजूदगी पर तब सवाल खड़े होने लगे है जब वन्य जीव तस्करी का एक और मामला सामने आया है।हालांकि इसमें तस्कर पकड़े गए है।लेकिन वन विभाग के अफसर कितने सजग है और उनके मातहत कितने सक्रिय यह साबित जरूर हो रहा है।जिले के रमकोला क्षेत्र से दुर्लभ वन्य जीव पेंगोलिन के शिल्क के साथ तीन लोगों को पकड़ा गया है। पकड़े गए लोग ग्राम दुलदुली के बताए गए है।जिसमे चरकू आ. शिवलाल जाति अगरिया उम्र 35 वर्ष सा. भेलक (धूरिया), तनगू आ. सोमारू जाति अगरिया उम्र- 33 वर्ष सा. दुलदुली,विजय आ. धनसाय जाति गोड़ उम्र 24 वर्ष बसा .. दुलदुली शामिल है।वन विभाग के अनुसार इन पर वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम की 1972 49 (ख), 50 (स), 51 नी धारा 9,39 (7) (ब), के तहत अपराध दर्ज किया गया है।इनके पास से  वन्यप्राणी पैंगोलीन का दस किलो शिल्क व बाइक जप्त किया गया है। प्रेस रिलीज में कहा गया है वनमंडलाधिकारी के निर्देशानुसार टीम जबलपूर के साथ मुखबीर के सूचना के आधार पर गठित टीम के सदस्यों द्वारा जंगल में 11 नं से रमकोला जाने वाला मुख्य मार्ग कछुआ नाला के पास बिक्री का इंतज़ार कर रहे आरोपियों को पकड़ा गया।पिछले अक्टूबर में तेंदुए व बाघ के खाल के साथ बिहारपुर इलाके में कुछ लोगो को पकड़ा गया था।जिसके मुख्य आरोपी अभी भी फरार है।

सक्रिय है तस्कर……..

जिले के जंगलों में वन्यजीव तस्करो के सक्रिय होने की खबरें आये दिन सामने आती रही है।पर इस पर अधिकारी कभी सजग दिखाई नही पड़ते।दिलचस्प तो यह है कि बाघ व तेंदुए की खाल भी जबलपुर टीम की अगुवाई में मुखबिरी पर पकड़ा गया था और अब पेंगोलिन का शिल्क भी जबलपुर टीम से हुई मुखबिरी पर पकड़ा गया है। ऐसे में जिले की वन विभाग की टीम की सक्रियता पर सवाल खड़े हो रहे है।क्या मुखबिर तंत्र मजबूत नही है या मुखबिरों को यहां की टीम पर भरोसा नही है..? वन विभाग का मैदानी अमला कहा और कितना सजग है इस पर पर ध्यान क्यो नही दिया जा रहा।