पप्पू जायसवाल
बिहारपुर. जिले के ओडगी के कालामांजन में उत्पात मचाकर 2 ग्रामीणों को मौत की नींद सुलाने वाली जख्मी बाघिन भेजी गई रायपुर तो वही चांदनी बिहारपुर क्षेत्र में तेंदुए ने 2 गाय का शिकार किया है जिससे ग्रामीण भयभीत है. सोमवार को ग्राम कालामांजन में तीन युवकों से भिड़ंत के बाद बाघिन भी बुरी तरह जख्मी हो गई थी।बाघिन के हमले से दो युवकों को जान गंवानी पड़ी है।इस दौरान बचाव में युवकों ने भी उस पर कुल्हाड़ी से वार किया था जिससे बाघिन के सर व जबड़े में चोटें आई है।जिससे वह घायलावस्था में सोमवार से ही गांव के नजदीक एक बांध के पास बैठ गई थी। बाघिन को सुरक्षित रेस्क्यू करने पूरे दिन कवायद की जारी रही पर ऐसा सम्भव नही हो सका।मंगलवार की सुबह रायपुर,बिलासपुर व अम्बिकापुर से पँहुचे एक्सपर्ट व डाक्टरो की टीम कुमकी हाथी के सहारे बाघ के नजदीक पहुँच कर उसे पहले ट्रेंकुलाइज कर और उसे अपने कब्जे में लिया गया। जहाँ से कुदरगढ़ रेंज के केम्पस में लाकर उसका उपचार किया गया।उपचार के बाद उसके बेहतर इलाज के लिए डाक्टरो की निगरानी में रायपुर ले जाया जा रहा है।जहाँ उसके सम्पूर्ण इलाज के बाद उसे रायपुर सफारी में छोड़ा जा सकता है।सीसीएफ नावेद सुजाउद्दीन ने बताया कि बाघिन का यह सम्पूर्ण रेस्क्यू ऑपरेशन नेशनल टाइगर कन्जर्वेशन अथारटी एन टी सी ए की गाइड लाइन के अनुसार किया गया।

बाघिन के बाद तेंदुआ का आतंक…
बाघिन के रेस्क्यू होने के बाद अब तेंदुआ का खौफ से ग्रामीण दहशत में है आज सुबह चांदनी बिहारपुर से लगे गढ़वतिया के नजदीक तेंदुआ ने एक गाय को शिकार बना लिया है तो वही शाम होते ही रसौकी गाव में तेंदुआ फिर से एक गाय का शिकार कर अपना आहार बना कर अपनी उपस्थिति का अहसास कराया है. महुली सहित आसपास के गांव में तेंदुए की धमक से इस क्षेत्र में भी दहशत है। गढ़वतिया देवी धाम में भी इन दिनों पूजा पाठ का दौर जारी है। और लोगो का जमावड़ा होने से यहां भी डर का माहौल है।रेंजर ने बताया कि आसपास के जंगलों में तेंदुए की आहट जरूर है.
नवरात्र और बाघ..?
हिन्दू घर्म की मान्यतानुसार बाघ को माता की सवारी माना गया है इन दिनों चैत्र नवरात्र चल रहा है परंपरा के अनुसार अंचल की अधिष्ठाता कुदरगढ़ देवी घाम में मां बागेश्वरी की भक्तिभाव से पूजा अर्चना की जा रही है ऐसे में बाघ के कुदरगढ़ के नजदीक पहुचने को धर्म के एंगल से जोड़ कर देखा जा रहा है वैसे लोग बताते है कि प्रतिवर्ष चैत्र नवरात्र के मौके पर कुदरगढ़ में बाघ के दर्शन व दहाड़ होते रहे है जिससे इलाका सहम जाता रहा मगर इस बार इंसानी बस्ती के करीब पहुचकर हमले की वजह से थोड़ी परिस्थितियां बदली हुई है।