अस्पताल के डॉक्टर मरीजो को हांक कर ले जा रहे खुद की क्लीनिक में…. महिला चिकित्सक के खिलाफ पूर्व में भी कई शिकायतें रही… नॉर्मल डिलीवरी का 15 हजार रुपए और ऑपरेशन का 35 हजार से 40 हजार…जिला अस्पताल से ब्लड पहुँचा नर्सिंग होम…
सूरजपुर. जिला अस्पताल की भर्राशाही फिर उजागर हुई जब एक महिला चिकित्सक के निजी क्लिनिक में जच्चा बच्चा दोनो की मौत हो गई है।मृतक के परिजनों में भारी रोष है पर अस्पताल प्रबंधन सांप निकलने के बाद लकीर पीटने के अन्दाज में फिर एक बार जांच की बात कर रहा है जबकि इस महिला चिकित्सक के खिलाफ पूर्व में भी कई शिकायतें रही है जिस पर आज तक कभी मुकम्मल कार्रवाई हुई ही नही है।जिसका परिणाम रहा है कि अस्पताल के डॉक्टर मरीजो को हांक कर अपने निजी क्लीनिक ले जाते है जहाँ सीधे जेब पर डाका डालने के अन्दाज में उपचार करते है। गुरुवार को नगर से लगे तिलसिवां में स्थित रश्मि नर्सिंग होम में ग्राम भुवनेश्वरपुर की रहने वाली पूजा साहू को प्रसव के लिए भर्ती कराया गया था,परिजनों का आरोप है कि वह 3 अप्रैल को पूजा को लेकर प्रसव के लिए जिला चिकित्सालय आए थे, जहां उसका 4 अप्रैल तक इलाज किया गया, लेकिन जब वह पूजा की हालत में सुधार नही हुआ तो वह उसे लेकर अंबिकापुर किसी अन्य हॉस्पिटल उपचार के लिए जाने पर विचार कर रहे थे, इसी दौरान जिला चिकित्सालय में पदस्थ डॉक्टर और रश्मि नर्सिंग होम के संचालक डाक्टर ने उन्हें यह कहते हुए अपने नर्सिंग होम में एडमिट करा लिया कि जो वहां उपचार होगा वह उपचार उनके नर्सिंग होम में हो जाएगा. परिजनों ने डॉक्टर रश्मि की बात मानते हुए पूजा को 4 अप्रैल की शाम डॉक्टर रश्मि के नर्सिंग होम में भर्ती करा दिया जहां 5 अप्रैल को पूजा का बच्चा मरा हुआ पैदा हुआ और कुछ देर बाद रात में पूजा ने भी दम तोड़ दिया वहीं शिकायत मिलने के बाद पुलिस नर्सिंग होम पहुंचकर जांच में जुट गई है और शव को पीएम के लिए जिला चिकित्सालय भेजकर कराया गया। इस डॉक्टर की हमेशा शिकायत रही है। पैसा लेन देन की शिकायत कलेक्टर से लेकर सीएमएचओ से भी किया गया है। लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं होने से मनोबल बढ़ा हुआ है। यही नही यहां जिला अस्पताल के कई नामी डॉक्टर अस्पताल से मरीजो को लगभग हाका मारने के अंदाज में घर मे ले जाकर न केवल मरीजो के जेब मे डाका डाला जा रहा है।बल्कि जान भी ले ले रहे है।
पिता का आरोप…
इस संबंध में मृतिका के पिता महेंद्र कुमार साहू ने कहा कि मैं अपने लड़की को 3 अप्रैल को जिला चिकित्सालय में लाकर भर्ती कराया था फिर 4 अप्रैल को शाम में डॉ रश्मि के द्वारा बोला गया कि यहां नहीं हो पाएगा आप हमारा प्राइवेट नर्सिंग होम में ले लाइए हमारे यहां सारे सुविधाएं उपलब्ध हैं और हम इसके लिए गारंटी के साथ हम नॉर्मल डिलीवरी करवा दूंगी उन्होंने रेट बताया नॉर्मल डिलीवरी का 15 हजार रुपए और ऑपरेशन का 35 हजार से 40 हजार तक है फिर हम लोग उनके नर्सिंग होम में लेकर गए वहां भी हम लोग ने डॉक्टर से पूछा कि अंबिकापुर ले जाए तो उन्होंने कहा की अंबिकापुर ले जाने की जरूरत नहीं है अंबिकापुर से बेहतर इलाज हमारे नर्सिंग होम में हो जाएगा और खर्चा भी कम लगेगा।डॉक्टर को 10 हजार रुपए भी दिए इसके बाद जाकर इलाज चालू की है फिर 5 अप्रैल को सुबह ऑपरेशन थिएटर में ले गए फिर 10 बजे जानकारी दिया गया कि बच्चा तो नहीं बचा लेकिन मां स्वस्थ है और बोली कि है उसको कुछ नहीं होगा फिर हम लोगों को 3:00 बजे दोपहर में मिलने दिया गया और हमारी लड़की स्वास्थ्य थी एकदम ठीक की बात कर रही थी। लेकिन इसी बीच हालत गंभीर हो गई इस स्थिति को देखते हमने एम्बुलेंस भी बुला लिया था पर डॉक्टर ने मना कर दिया परिणामस्वरूप हमने दोनो को खो दिया।
जांच टीम बना दी गई है…. सीएमएचओ
संबंध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ आर एस ने कहा कि प्राइवेट नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया था जहां बच्चे मां दोनों की मौत हो गई है इसमें हम जांच टीम बनाएंगे और जांच के बाद जो भी कमियां मिलेगी नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। जरूरत पड़ी तो नर्सिंग होम को भी सील कर दिया जाएगा।
सवाल पर फोन कट…
इस संबंध में जब नर्सिंग होम एक्ट के नोडल अधिकारी डॉ दीपक जायसवाल से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि टेंपरेरी परमिशन है फिर उनसे पूछा गया कि क्या टेंपरेरी परमिशन में ऑपरेशन करने का अधिकार है तो उन्होंने फोन काट कर दिया फिर कई बार संपर्क किया गया फिर फोन रिसीव नहीं किए।
नर्सिंग एक्ट के उल्लंघन…
इधर जिला मुख्यालय में सरकारी डाक्टर खुले आम नर्सिंग एक्ट का उल्लंघन कर रहे है जिस पर कोई अंकुश नही है।नियमानुसार न तो फीस की रसीद दी जा रही और न यह बताया जाता कि किस बीमारी के उपचार का रेट क्या है।यही नही अस्पताल के टाइम का भी ध्यान नही दिया जा रहा।इसके आलावे अन्य कई नियम है जिसका पालन नही किया जा रहा है।इस पर अधिकारी भी खामोश है।
नर्सिंग होम सील
जच्चा बच्चा की मौत निजी नर्सिंग होम में होने के मामले में sdm ने तहसीलदार को भेज मामले की जांच के लिए भेज गया. मौके पर पहुची तहसीलदार ने दस्तावेज जब्त करते हुए नर्सिंग होम की सील कर दिया है.
जिला अस्पताल से ब्लड पहुँचा नर्सिंग होम…
जच्चा बच्चा की मौत होने के मामले में कई तमाम खामियां लापरवाही सामने आई, जब खून की आवश्यकता पड़ी तो जिला अस्पताल से एक दो बोतल खून नर्सिंग होम पहुँच गया. अंदाजा लगाया जा सकता है जिला अस्पताल और नर्सिंग होम की रिश्ता की, इसकी जिम्मेदारी कौन और क्यों लेगा,कोई मुकम्मल कार्यवाही होगी या फिर इसी तरह मौत का सिलसिला बदस्तूर जारी रहेगा।