जच्चा बच्चा की मौत का मामला…पुलिसिया कार्यवाही से असंतुष्ट परिजन…SP से अपराध दर्ज करने की मांग की…

सूरजपुर. स्वास्थ्य मंत्री के संभाग वाले सूरजपुर जिले में पदस्थ डॉक्टर स्टाफ किस तरह की करतूत कारनामे करने में लगे है किसी से छिपा नही है. डॉक्टरों की मनमानी चरम पर इन्हें किसी का कोई डर भय नही, खुलकर नियम कानून को तार कर इंसानियत का मजाक उड़ा रहे. रश्मि नर्सिंग होम में जच्चा बच्चा की मौत का मामला थमने का नाम नही ले रहा. जिस तरह से जिला चिकित्सालय से प्रसूता को अपने निजी नर्सिंग होम ले जाया गया,उससे हर कोई हैरत में है. जानकर बताते है अस्पताल में महिला चिकित्सक पदस्थ होने के साथ उसके कई दलाल स्टाफ भी है जो अनगिनत प्रसूता को जिला अस्पताल से निजी नर्सिंग होम भेजते रहते थे.जिसमे से कई नवजात काल के गाल में समा गए वजह डॉक्टर की लापरवाही..? सब कुछ जानते हुए भी अधिकारियों की चुप्पी ने आग में घी का काम किया है.  मोटी चमड़ी हो चुकी डॉक्टर ने बेखोफ सारे नियम कानून को ताक में रखते हुए खुद की नर्सिंग होम के साथ जिला अस्पताल में ड्यूटी कर दोहरा लाभ ले रही है साथ ही यहाँ के मरीजो को नर्सिंग होम ले जा रही,अधिकारियों ने आंखे बंद कर खुली छूट दे रखी है .जिससे अस्पताल बदहाल है और दलालो के अड्डे में तब्दील हो गया. फिलहाल रश्मि नर्सिंग होम में जच्चा बच्चा की मौत के मामले में परिजन आज पुलिस अधीक्षक को शिकायत पत्र देकर एफआईआर दर्ज करने की मांग की है. जिसमे बताया गया है वे अब तक हुई पुलिस जांच की जांच से संतुष्ट नही है और उन्होंने सिलसिलेवार घटना क्रम की जानकारी देते हुए बताया कि उनकी पुत्री को 3 अप्रैल को सुबह जिला अस्पताल लाया 4 की शाम तक थी और डॉक्टर और उसकी सहयोगी नर्स के कहने पर वे रश्मि नर्सिंग होम ले गए और फीस बताई गई जिसमें नार्मल डिलवरी का 15 हजार बताये जाने पर दस हजार रूपये जमा किये, स्वास्थ परीक्षण कर बताया गया कि मां के पेट में बच्चा सुरक्षित है जिसका नार्मल डिलवरी होगा. बुधवार को सुबह बताया गया कि ऑपरेशन करना पड़ेगा. मेरे द्वारा सहमति देने पर ऑपरेशन किया गया और मृत शिशु होना बताया गया और ऑपरेशन के बाद खून की जरूरत बताने पर डॉ० मैडम ने जिला अस्पताल में फोन के माध्यम से चर्चा कर जिला अस्पताल में स्थित शासकीय ब्लड बैंक में मेरा नाम लेकर खून की थैली लेकर आने को कहा गया बताये अनुसार अस्पताल पहुँच 1450 रूपये फीस देकर खून की थैली लेकर नर्सिंग होम पहुँचने पर शाम को महिला डॉक्टर ने नवजात शिशु का शव उसके कहे अनुसार ले जाकर दफना दिया उसके लिए गड्ढा खोदकर का फावड़ा भी मुहैया कराया गया था.

मृतिका के पिता महेंद्र साहू ने बताया कि नदी से आने पर एक थैली खून की आवश्यकता बताकर पुनः जिला अस्पताल के ब्लड बैंक जाने कहकर बोली, मेरा बात हो गया है। जहां फीस देकर खून की थैली ले आईये मेरे द्वारा ब्लड बैंक मे राशि जमा कर ब्लड की थैली लेकर आया. खून की थैली ठण्डा होना कहकर कपड़े में गर्म किया गया और स्टॉफ के द्वारा खून चढ़ाया गया। इस दौरान मृतिका पूजा साहू का तबीयत खराब होने पर आपातकाल नं0 108 में कॉल कर एम्बुलेंस बुलाया गया। वाहन रास्ते में था तब डॉo ने हमारे फोन से कॉल कर आने हेतु मना कर दिया गया और वह कुछ नही होगा कहकर मेरे पुत्री के सीना को दबाते रहे। लेकिन आखिरकार उसकी मौत हो चुकी थी। डाक्टर ने मुझे अपने पास बुलाया और जितना जल्दी हो सके शव ले जाने को कहा। लेकिन रात होने के कारण शव ले जाने में मेरे द्वारा असमर्थता जताया गया। इस दौरान डॉ० ने दबाव बनाया और पैसे ले लो और जाओ कहा गया. इस पूरे मामले मृतिका के पिता महेंद्र साहू ने बताया कि अब तक हुई जांच विवेचना से संतुष्ठ नही है उन्होंने डॉक्टर और उनके सहयोगियों पर तत्काल एफआइआर दर्ज करने की गुहार लगाई है. अपराध दर्ज नही करने की सूरत में थाने की घेराव करने को कहा है.