बिहारपुर. जिले के आदिवासी एवं वनवासी लोगों को छत्तीसगढ़ शासन की योजना का लाभ नहीं मिल रहा है वही लंम्बे है समय से निवास कर रहे 5 गांव की तेंदूपत्ता तोड़ने से दूर रखा जा रहा है, जिले के दूर अंचल क्षेत्र चांदनी बिहारपुर के ऐसे 5 गांव है जहां घना जंगल होते हुए भी 5 गांव में तेंदूपत्ता नहीं तोड़ा जा सकता, ना ही कोई अन्य वनोपज प्राप्त करने को दिया जाता है. जिससे ग्रामीण काफी चिंतित है. गांव में राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र पण्डो एवं चेरवा जाति गांव में निवास करते हैं आज इन पण्डो व चेरवा जाति समूह के लोगो तेंदूपत्ता तोड़ने से कोसों दूर कर दिया जा रहा है. वहीं गांव से लगे मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ सीमा के ग्रामीण यहां से आकर जंगल से तेंदूपत्ता तोड़कर मध्यप्रदेश में ले जाकर बेच रहे हैं जब गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान पार्क परिक्षेत्र के अधिकारी कर्मचारी इस ओर कोई ध्यान नहीं देते स्थानीय ग्रामीणों को तेंदूपत्ता तोड़ने से मना किया जाता है कहा जाता है कि यह नेशनल पार्क है यहां से तेंदूपत्ता तोड़ाई आप लोग नहीं कर सकते. गौरतलब है कि जंगल वासियों की आय का प्रमुख स्त्रोत तेंदूपत्ता सीजन ही है जबकि 15 गांव पूरी तरह से जंगल से घिरे हुए हैं इसके बावजूद भी इन्हें जंगल का कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है. बताया जाता है कि जातियों के समक्ष आय का कोई अन्य स्रोत नहीं है.
ग्रामीणों को तेन्दूपत्ता संग्रहण से रोक…
ग्राम पंचायत ग्राम पंचायत खोहीर के आश्रित गांव बैजनपाठ, लुल्ह, भुण्डा, जुड़वनिया एवं ग्राम पंचायत रामगढ़ की तेलाईपाठ इन गांव में तेंदूपत्ता की तुड़ाई नहीं किया जाता है वही देखा जाए तो वन जंगल के मामले में सूरजपुर जिले से सबसे ज्यादा घना जंगल है यहां तेंदूपत्ता भी भारी संख्या में मिलता है लेकिन छत्तीसगढ़ शासन द्वारा इन गांवों के ग्रामीणों को तेंदूपत्ता का लाभ नहीं मिलता है बताया जाता है कि उक्त क्षेत्र वन विभाग का गुरूघासीदास राष्ट्रीय उद्यान बैकुन्ठपुर रेहन्द मोहली का क्षेत्र है जिसके कारण तेन्दूपत्ता तोड़ने का इजाजत नही दिया जायेगा.