Human trafficking….कर्नाटक में फंसे 5 नाबालिक बच्चे…वापस लाने की गुहार

सुरजपुर. मानव तस्करी को लेकर जहां एक भारत के सर्वोच्च न्यायालय सुप्रीम कोर्ट गंभीरता से लेती है वही जिले की पुलिस इस सवेंदनशील मामले पर लापरवाह बनी हुई है. अनुसूचित जनजाति के बच्चों को काम दिलाने के नाम पर अलग प्रदेश कर्नाटक ले जाकर मारपीट करने के मामले कि शिकायत प्रेमनगर पुलिस थाने में 3 मई को लिखित जानकारी देकर उच्च आधिकारी के संज्ञान में देने के बाद भी पुलिस ने अब तक कोई पहल नहीं किया. पूरा मामला विकासखंड प्रेमनगर के ग्राम केदारपुर के धनुहार कसियारी बस्ती का है। यहां पर शासन की योजनाओं का धरातल में लागू नही होता है। लोगो के पास रोजगार का अभाव है जिस कारण पढ़ाई लिखाई भी नही कर पा रहे है। बल्कि उम्र से पहले ही घर चलाने का जिम्मेदारी उनके कंधे पर टिका हुआ है। पिछड़ी जनजाति धनुहार के 5 नाबालिक बच्चे रोजगार की तलाश में थे, ताकि घर की माली हालत ठीक हो जाये और घर मे जरूरत की समान उपलब्ध हो, इसी बीच कोरबा जिले के एक व्यक्ति द्वारा बोर मशीन में कार्य कराने के नाम पर बच्चों को बला फुसलाकर कर्नाटक राज्य ले गया. एक माह हो गया और वहा बच्चों के साथ मारपीट की जा रही है साथ उनका वेतन नहीं दिया है जिससे वे लोग जंगलों में भटक रहे थे. किसी तरह मोबाइल के माध्यम से परिजनों को सूचना दिए जाने पर स्थानीय नेताओं के मदद से प्रेमनगर पुलिस के साथ उच्च आधिकारी से भी गुहार लगाई। पूरी जानकारी महिला बाल विकास जिला कार्यक्रम अधिकारी को दिए जाने उन्होंने मामले की संज्ञान लेकर संवेदनशील रवैया अपनाते हुए तत्काल बाल संरक्षण अधिकारी के माध्यम से स्वयं भी कर्नाटक राज्य में बात कर बच्चों को जंगल से रेस्क्यू कर कर्नाटक के चाइल्ड लाइन में रखवा कर सुरक्षित किया.  जिन्हें सुप्रीम कोर्ट के नियमानुसार अनुसार सीडब्ल्यूसी में पेश किया गया बच्चों को लेने जाने हेतु पुलिस को टीम बना कर बाल संरक्षण कर्मचारियों के साथ जाना था। पर प्रेमनगर पुलिस ने मामले में गंभीरता नहीं दिखाइए और ना ही अपराध दर्ज करना उचित समझा है। जिसके वजह से अब तक बच्चों को घर नहीं लाया जा सका है। इस मामले पर पुलिस की भूमिका संदिग्ध है क्योकि वे अत्यंत गरीब आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से है अंदाजा लगाया जा सकता है की बच्चों जैसे संवेदनशील मुद्दों पर सूरजपुर की पुलिस किस तरह से लापरवाह है जिसकी बानगी आसानी से देखी जा सकती है.

एक अभागा बच्चा..

कर्नाटक ले गए पांच बच्चे में एक बच्चा बहुत ही अभागा है इस नाबालिक बच्चे का पिता की बीमारी से मौत हो गई। पिता के मौत के बाद माँ अन्य पुरुष के साथ भाग कर रहने लगी, जिसके साथ रह रही थी वो हत्या के मामला के वर्षों से जेल से हाल में ही आया था. पिछले माह दोनों के मध्य विवाद में उसमे नाबालिक बच्चे की माँ को मौत के घाट उतार दिया. इस अभागे बच्चे का पहले पिता का साया उठा, फिर माँ भी इस दुनिया से अलविदा कह कर चली गई. उपर से बाजार का कर्ज, घर आधा-अधूरा बना हुआ है उसको पूरा करने के लिए छोटा भाई काम की तलाश में कर्नाटक राज्य में फंसा हुआ है। घर मे उसके भाई, भाभी आने की राह देख रहे है किसी अनहोनी घटना की डर सता रहा है.