जागो सरकार…गांव में आवश्यक मुलभूत सुविधा नही होने से छोडा गांव…पहाड से उतरकर जंगल में बनाया बसेरा….नदी का पानी पीने को है विवश….

सूरजपुर. जिले के दूरस्थ क्षेत्र चांदनी बिहारपुर क्षेत्र के कई गांव आज के युग में भी कालापानी की सजा काट रहे है ना यहा सरकार के योजना का लाभ मिल रहा न ही इनकी परेशानी समस्या को नेता,मंत्री,अधिकारी दुर कर रहे. बात कर रहे है चांदनी बिहारपुर क्षेत्र के ग्राम पंचायत रामगढ़ के आश्रित ग्राम तेलाईपाठ की जहा पर गांव के ग्रामीणो को आवश्यक मुलभूत सुविधाओ का आकाल है इसलिये 20 से 25 परिवार गांव छोडकर नया गांव बनाने 2011 में बलियरी के जगल में पहुंच गये. यहा के जंगल में आकर बसे पंडो जनजाति के लोग मिटटी,लकडी की झोपड़ी बनाकर गुजारा कर करते हुये देख वन विभाग ने सभी को भगा दिया गया. वापस गये ग्रामीण एक बार फिर से 2013 में बलियारी जंगल में आकर अपना आशियान बना करने लगे. यहा बसे ग्रामीण खेती, बकरी गाय पालन कर किसी तरह गुजारा कर रहे है पेयजल के लिये रेडिया नदी पर आश्रित है इसी नही के पानी से अपनी प्यास बुझा रहे हैं.

पेयजल के लिए रेडिया नदी पर आश्रित है ग्रामीण


गांव का गंाव खाली होकर नया गांव बसाने की खबर से अधिकारी नेता लोग हलाकान रहे. इन ग्रामीणों का सुख दुख की परवाह करने स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंह देव के साथ स्थानीय विधायक पारसनाथ राजवाड़े सहित जिला प्रशासन के अधिकारी भी पहुंचे थे और गांव में सभी प्रकार की बुनियादी सुविधा उपलब्ध कराने का भरोसा दिया था। लेकिन आज तक तेलाईपाठ मे कोई सुविधा उपलब्ध नही हो सका है. पंडो जनजाति के लोगो ने बताया कि तेलाईपाठ में सड़क बिजली, स्कूल ,स्वास्थ आदि की कोई सुविधा नहीं है. सरकारी राशन के लिए भी 20 किमी का सफर पहाडी रास्तो भरा तय करना पड़ता है. यही मुख्य वहज है कि पंडो परिवार तेलाईपाठ छोड़कर रामगढ़ ग्राम पंचायत से लगा 6 किलोमीटर दूर बलियरी में 10 वर्षो से बसे हुये है. ग्रामीणों ने बताया कि तेलाईपाठ गांव गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान रिहंद पार्क में होने से तेंदूपत्ता एवं वनों से मिलने वाला लाभ हमें नहीं मिल पा रहा था. इसलिये वे गांव छोडकर यहा बस गये है यहा पर बकरी गाय जंगल में मिलने वाला महुआ तेंदू चार एवं तेंदूपत्ता तोड़कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं.