राजेश सोनी
सूरजपुर. जिले में कबाड़ गिरोह का काला कारोबार बेखौफ चल रहा है नगर के कुछ बड़े कबाड़ कारोबारी चोरी के माल की खरीद-फरोख्त कर रहे हैं तो वही सरगुजा जिले के कबाड व्यवसाई को छुट देना विभाग को महंगा पड रहा है हाल में कोयले की खदान से बहुमुल्य सामाग्री चोरी की घटना से पुरे क्षेत्र में पुलिस की जमकर किरकिरी हो रही है. एसईसीएल के अमगांव खदान से पोकलेन मशीन की चैन की चोरी के मामले में प्रबंधन की ओर से शिकायत के बावजूद थाने में अपराध दर्ज तक नही किया जा सका है, पुलिस एसईसीएल के समक्ष अधिकारी का इंतजार करती रही तो वही कबाडी गिरोह चोरी का माल खपा कर नामो निशान मिटाने में लगे है. गौरतलब है कि 11 दिसंबर की रात में महगांव के कबाडी व सरगुजा के नामी कबाडी के गिरोह ने एसईसीएल अमगांव खदान में धावा बोलते हुये वहा रखे पोकलेन मशीन के चैन की चोरी कर दुसरे जिले भेज दिया गया है इस काम में स्थानिय कबाड के धंधे में लिप्त ग्रामीण बराबर सहयोग करते रहे. सुत्रो के मुताबिक खदान से पोकलेन मशीन के चैन की चोरी करने में जेसीबी मशीन का उपयोग कर चोरी का माल को पिकप में लोड किया गया, जिसके बाद कुछ दुरी पर स्थित जंगल ले जाया गया वहा से फिर से जेसीबी के सहारे पिकप में रखे चोरी का माल को ट्रक में लोड कर उसे पार कर दिया. कबाड गिरोह को स्थानिय पुलिस का संरक्षण प्राप्त है ऐसे में विभाग को सब कुछ पता होने शिकायत पर अभी तक किसी प्रकार का अपराध दर्ज नही किया है. गौरतलब है कि जिले में स्थित एसईसीएल की कोयला खदाने कबाड कारोबारियों के लिये सोने का खजाना बन गया है भटगांव,बिश्रामपुर,अमगांव,महान सहित अन्य खदान वर्कशाप रेलवे का लोहा, बडे बडे मशीनो के कलपुर्जे, एल्यूमीनियम व कॉपर के तार की चोरी कर उसे ठिकाने लगा कर मालामाल हो रहे है. ग्रामीण क्षेत्रो में विद्युत ट्रांसफार्मर से कलपुर्जे लगातार पार किये जा रहे है. सूत्रों की मानें तो इन कबाडियों का लिंक अंबिकापुर,रायगढ,रायपुर, बिलासपुर तक है. चार पहिया व भारी वाहनों की कटिंग पूर्व में कोयलांचल में की जाती थी, लेकिन बीते कुछ दिनों से इलेक्ट्रिक कटर जैसे उपकरणों की सहायता से चोरी के दुपहिया व भारी वाहनों को काट कर पार कर रहे है.
कटघरे में वर्दी की साख
जिले में कबाड़ गिरोह का हौसले बुलंद है गिरोह रातों-रात चोरी का माल पहुंचाते हैं और रात में ही पेमेंट भी हो जाता है मजे की बात तो यह है कि कारोबार में बेहिसाब कमाई के बाद भी सरकारी तंत्र कोई दखल नहीं देता. जिला मुख्यालय में थोक कबाड़ का कारोबार संचालित हो रहा है, लेकिन कार्यवाही न होने से कबाड़ गिरोह के हौसले बुलंद हैं. कबाड़ी अब यह भी कहने से नहीं चूक रहे हैं कि उनकी वर्दी के साथ पार्टनरशिप है.
मास्टरमाइंड
कबाड़ का व्यवसाय करने के लिए स्पष्ट नीति नियम न होने से भी यह अवैध धंधा तेजी से अपने पैर पसार रहा है. छोटे कबाड़ियों को इस धंधे के लिए लाइसेंस की जरूरत नहीं होती न कोई स्टाक का हिसाब रखना पड़ता है और इसी का फायदा उठा कर कबाड़ के धंधे के मास्टरमाइंड बाहर के लोगों को लाकर क्षेत्र में कबाड़ गिरोह बनाकर व्यवसाय शुरू करा देते हैं जिसकी आड़ में जमकर चोरी के माल की खरीद बिक्री होती है.
धंधे की जद में फंस रहे बच्चे
कबाड़ गिरोह बच्चों से चोरी के माल खरीदते हैं वे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किशोरों को चोरी करने के लिए प्रेरित करते हैं ये किशोर प्रायःगरीब तबके के होते हैं पारिवारिक व सामाजिक मार्गदर्शन नहीं मिलने से वे घरों के आसपास फेंके गए कचरे में से कबाड़ चुनते है बाद में इन बच्चों पर पारिवारिक नियंत्रण नहीं होने के कारण नशे के गिरफ्त में आ जाते है और अपनी आवश्यकता की पूर्ति के लिए चोरी के धंधे में उतर आते हैं कबाड़ गिरोह को चोरी का लोहा बेच कर इन्हें आसानी से पैसा मिल जाता है जिससे ये धीरे-धीरे इस अपराध के अनजाने में हिस्सेदार बनते जाते हैं. हालांकि जिले के पुलिस अधीक्षक इस धंधे पर लगाम लगाने का प्रयास कर रही है अब देखना होगा कि अवैध कबाडियों या इनके गिरोह पर पुलिस क्या कार्रवाई करती है.