राजेश सोनी
सूरजपुर. आज पत्रकारिता की बहुत बुरी हालत हो गई है, पत्रकारों को मारना, फर्जी मुकदमें दर्ज कर जेल में डालना. ऐसी घटनाये थम नही रही है. आम लोगो को कोई फर्क नही पडता. लेकिन लडने वाला कभी हार नही मानता और दहाडने वाला कभी पीछे भी नही रहता. कट रही सरकार की नाक तो जल्दी ही भुगतेगे. किसी भी शासन में पत्रकारों की भूमिका अहम होती है प्रेस की आजादी, एक अच्छा लोकतांत्रिक शासन चलाने में सहयोगी होता है जब फरियादी प्रशासनिक व्यव्स्था से हार जाता है तो अंत में पत्रकार को याद करता है. सब की पीडा को आमजनो तक पहुचाने वाला पत्रकार आज अपने हाल पर खुन के आशु बहा रहा है सरगुजा पुलिस अवैध कारोबारियों माफियों से हाथ मिलाकर फर्जी अपराधिक प्रकरण दर्ज कर पत्रकारो को जेल डालने में लगी हुई है ताजा मामला अम्बिकापुर नगर की है जहा पर भारत सम्मान अखबार के संपादक जितेंद्र जायसवाल के ऊपर 8 अप्रैल को सरगुजा पुलिस ने पहले आपराधिक मामलों में लिप्त व्यक्तियों से मिलकर शिकायत लिखवाया एवं गंभीर धाराओं में एक ही दिन में दो अपराध दर्ज कर जितेन्द्र को गिरफ्तार कर लिया. गौरतलब है कि भारत सम्मान के जितेंद्र जायसवाल के द्वारा अपराध एवं पुलिसिंग भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी, अवैध प्लाटिंग, भु माफिया, ड्रग्स माफिया सहित अन्य असमाजिक तत्वो के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था तो वही जघन्य अपराधों में गिरफ्तारी तो दूर प्राथमिकी भी दर्ज नहीं हो पाती. अपराधियों से सांठगांठ बहुचर्चित पंकज बेक कस्टोडियल डेथ मामला की सच्चाई दिखाने पर आखिरकार जितेंद्र के विरूद्ध एक ही दिन में दो अपराध दर्ज किए गए हैं अपराध क्रमांक 1282022 में धारा 452, 506, 384, 392 34 तो वही अपराध क्रमांक 129ध्2022 में धारा 384, 386,388, 506 तहत अपराध दर्ज किया गया.
भाडे के लोगो से पुलिस की जयकारा
जब रक्षक ही भक्षक बन जाये तो क्या कहना. जी हा खाखी में अनगिनत छेद है जब खाखी ही लुटेरे डकैत बन कर बेबस गरीब लाचार का दमन करने में लग जाये तो क्या होगा. ऐसा हो भी रहा है पंकज बेक का मामले को लेकर आज भी लोग याद करके सहम जाते है. पुलिस और माफिया की ऐसी साठगांठ की भाडे के टटुओ को लेकर अपनी जयकार कराने में लगे है. सरगुजा संभाग में पुलिस का हाल बेहाल है सच के लिये लडने वाले पत्रकारो के खिलाफ आरोपियों से मिली भगत कर अनेकानेक गुल खिलाये जा रहे है कलम पर बंदुक भारी पड रही है.
आरोपियों का ही सहारा.
सच के राह पर चलना बहुत कठिन है बहरहाल विभाग अपराधियों का सहार ले रही है जिसे शिकायतकर्ता बनाया है उसका नाम जितेंद्र कुमार सोनी है जो 420.120.34 का आरोपी है उस पर 2014 में कोतवाली थाना सूरजपुर में एफआईआर दर्ज है और कुछ महिने जेल की हवा खाने के बाद फिलहाल वही जमानत पर है अब वहं खुद को कैन-विज चिट फंड कंपनी का मालिक बताया है. इस कंपनी का ना तो पंजीयन नहीं है, इतना ही नहीं कंपनी के मालिक कन्हैयालाल गुलाटी एवं अन्य पर उत्तरप्रदेश के बरेली में धारा 420, 406 आईपीसी 1860 दर्ज है. पत्रकार के खिलाफ दुसरी शिकायतकर्ता प्रवीण कुमार अग्रवाल है जिसे पत्रकारों के सामने ही 8 मार्च को रात्रि में बुला कर एफआईआर में दर्ज कराया गया. जबकि उसके क्रेशर में एक आदिवासी युवक की मौत हो गयी थी मार्च महिने में अजजा अध्यक्ष एवं प्रशासन की टीम जांच हेतु आयी थी जिसका समाचार पत्रकार ने प्रमुखता से उठाया था. पुलिस प्रशासन के रवैय्ये पर गंभीर प्रश्न उठाए गए थे स्पष्ट है एफआईआर भी संदिग्ध है एवं दोनो एफआईआर प्रेस की आवाज दबाने हेतु पुलिस की दमनकारी नीति के तहत पूर्वाग्रह की बु से सराबोर है. फिलहाल अलग अलग पडे पत्रकारों में एकजुटता देखी जा रही है तमाम पत्रकार संस्थाओ ने पत्रकार की गिरफ्तारी, झुठे मामले बनाने का विरोध किया है अभी षिकायतो का ज्ञापन देने का सिलसिला प्रारंभ है और आने वाले दिनो में पत्रकारों की कलम आग अगुलेगी.