राजेश सोनी
सूरजपुर. 15 सालो तक सत्तासुख से वंचित नेता सत्ता प्राप्त करते ही उनके सुर-ताल में गजब की तब्दीली होने लगी है. 15 सालो में तमाम साजिस षडयंत्र उत्पीडन, खाखी के डंडे कहर के बाद उसी का पक्ष लेना नंबर वन सीएम को कही भारी ना पड जाये. जिन आम लोगो ने उन्हे चुना है वो जाये तो जाये पर सत्ता का गर्मी ना जाये. कोरोना की दुसरी लहर में जिले को पता नही क्या हो गया है कुछ भी अच्छा नही हो रहा है जो भी आया बडी बडी बाते ज्ञान देकर खुद को कथा कथित मसीहा बनाते रहे. जिले के मसीहा गौरव सिह व पुलिस अधीक्षक गये अब डीएफओ, एसडीओ के बाद जिला पंचायत सीईओ राहुल देव निपट गये. जिले के दौरे में प्रदेश के मुखिया लाचार विवश नजर आये. शिकवा शिकायतो का पिडारा ऐसा की देखते बन रहा था. सीएम तक कम से कम शिकायत पहुचे ऐसी व्यव्स्था बनाये गये. साहब के चेहरे चमकाने वालो ने सीएम को नायक के रुप में पेश किया जिससे गदगद साहब जोश में होश खो बैठे, भीड गये नारी शक्ति से जो सर्वाजनिक रुप से नही होना था वह हो गया. डिप्रेशन मे की गई कोशिश में तत्काल स्वास्थ लाभ मिलने से सीएम साहब की नाक बची रही नही तो विपक्ष तो पहले से लताड लगा रहा था अगर कुछ अनर्थ हो जाता तो बेडागर्त हो जाता.
लाचार विवश
प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की रामनगर दौरे पर एक महिला मुख्यमंत्री के पास पुलिस की शिकायत लेकर पहुंची तो उसी से प्रश्न करने लगे और उसी को भरी महफिल में खरी खोटी सुना दी, मुख्यमंत्री महिला की शिकायत को नजरअंदाज करते हुए सबके सामने महिला को ही बेइज्जत कर दिया, भरी महफिल में बिना सोचे समझे उसे बेइज्जत कर पुलिस वालों का हौसला बढाते हुये उसे न्यायलय जाने की नसीहत दे डाली. खुद मुख्यमंत्री पुलिस के खिलाफ कार्यवाही नही करना चाहते बल्कि न्यायलय जाने की सलाह से कई प्रश्न खडे हो रहे है अब आम लोग की शिकायत पुलिस थाने में नही होगी. वे न्यायलय जाये…? प्रदेश का मुख्यमंत्री का इस कथन से जाहिर है किस तरह पुलिस के मोह जाल में फस चुके है किस कदर लाचार है मतलब लगाये जा सकते है कि साहब के लिए पुलिस सही है जनता खराब है, सब की शिकायत करना और पुलिस का शिकायत मत करना क्योंकि पुलिस ही हमें 2023 का चुनाव जीतेगी…तो वही धरना प्रदर्शन आन्दोलन से डर येसा की प्रतिबंध रूपी अनुमति लगा दिये.अघोषित आपातकाल..? सरकार अब असहमति के हर आवाजों का दमन करना चाहती है उसने एक काला आदेश निकाल कर रैलियों और प्रदर्शनों पर कड़े प्रतिबन्ध और शर्तों को थोप दिया है. आम लोगों के लोकतांत्रिक अधिकार की नृशंस हत्या कर सरकार ने एक तुगलकी आदेश जारी किया है.
कमिशन ले डुबा
11 माह की फिल्म ड्रामा में अजब गजब के किस्से देखे और सुने गये. मंत्री विधायक सहित नेताओ पर भारी पडे उच्चअधिकारी ने खुब रंग जमाया तो वही जोडी ने भी आग में धी डाल रखा था. 10 प्रसेंट कमिशन ने सारा खेल खराब कर दिया जिसका खामियाजा आखिरकार भुगतना पड गया. फिलहाल शोसल मिडिया में तमाम तरह के विडियो ट्रोल हो रहे है खुद सीएम साहब के तो वही उनके पुलिस की जो कह रहे है जहा जाना है जाओ थाने मत आओ. आखिर खाखी के प्रताडित आखिर कहा जाये…. सरकार तेरी जय हो..
नारायण…..नारायण….. नारायण…