भालु की पुकार नही सुन रहा विभाग….दो दिनो से मुसीबत में भालु…कब पहुचेगा विभाग.?

पप्पु जायसवाल
सूरजपुर/बिहारपुर. गुरुघासी दास राष्ट्रीय उद्यान व वन परिक्षेत्र महुली के जंगल में भालु के चीत्कार की गुंज ग्रामीणो को सुनाई दे रही पर विभाग के कर्मचारी के कानो तक उसकी आवाज नहीं पहुच पा रही और पहुचेगी भी कैसे जब कर्मचारियो को ओने कार्य स्थल पर जाने तक की फुरसत नहीं]सिर्फ वेतन तक ही सिमित है तो जाहिर सी बात है कि उन्हें सुनाई कहा देगी. प्राप्त जानकारी के अनुसार महुली और कछवारी के पास दौरी पाथरपहाड के पास बीते दो दिनो से भालु के चीखने की आवाज आ रहा है भालु के चीत्कार से ग्रामीण सहमें हुये है किसी ने हिम्मत नही की वहा तक पहुचने की हालाकि ग्रामीणों ने पुरे मामले की सुचना राष्ट्रीय उद्यान सहित वन कर्मचारियों को दे दिया है लेकिन संबंधित विभाग आंख बंद कर भालु के मरने का इंतजार में बैठा है. ग्रामीणों ने बताया कि गुरुघासी दास राष्ट्रीय उद्यान परिक्षेत्र महुली कार्यालय में चौकीदार के भरोसे चल रहा है यहा पदस्थ अधिकारी कर्मचारी कार्यालय से हमेशा नदारद रहते है अपने कार्य भी अपने घर अंबिकापुर से संचालित करते है जिससे क्षेत्र में वन जीव का शिकार के साथ बडे पैमाने पर बहु मुल्य लकडियों की तस्करी निरंतर जारी है. जबकि वन अमले का काम है वन प्राणी व जंगलो की सुरक्षा करना पर वन अमला वन प्राणी की सुरक्षा को लेकर गंभीर नही है यही वजह है कि शिकारियों के हमले में वनजीव मारे जा रहे है या घायल हो रहे. वही इस क्षेत्र को टाईगर रिर्जव बनाने की कवायद जारी है और अन्य जगहो से वनजीव यहा पर लाये जा रहे है पर सवाल यह है कि आखिर इन वन जीवों की रक्षा किसके भरोसे. सरकार करोडो रुपये खर्च कर चीतल नील गाय बाघ, वन भैसा जैसे कई जानवरो को जंगलो में छोडा जा रहा है पर क्या छोडने तक ही सरकार की जवाबदारी है।
तेदुपत्ता का संग्रहण में वनजीव ग्रामीणों मे भय…
इस समय तेदुपत्ता का समय चल रहा है और ग्रामीण तेदुपत्ता संग्रहण करने के लिये बडी संख्या जंगल का रुख करते है पर भालु के चीत्कार के वजह से ग्रामीणों में भय का वातावरण है जिस वजह से ग्रामीण चाह कर भी तेदुपत्ता संग्रहण करने जंगल जाने से घबरा रहे है कही उस भालु से सामना न हो जाये. क्योकि भालु की स्थिति स्पष्ट नही कि वह घायल है या फिर पागल हो गया है.
बाहर सोना मजबुरी पर है जान का खतरा
सरकार बडे बडे दावा करती है कि विकास की चिडिया अंतिम छोर तक पहुच गया है वही जमीनी हकीकत यह है कि आज भी कई गांव सडक विद्युत पेयजल सहित आवश्यक मुलभूत सुविधाओ के ग्रामीण तरस रहे है ठीक ऐसा ही आलम ब्लाक ओडगी के बिहारपुर चांदनी क्षेत्र में देखने को मिल रहा है. जहा बिजली ना होने के वजह से ग्रामीण इस भीषड गर्मी में घर के बाहर सो रहे है ताकि उन्हे गर्मी से राहत मिल सके पर गर्मी से राहत की वजह से उनकार जंगली जानवरो के हमला करने का डर भी सता रहा है.