
प्रतापपुर।ग्रामीणों की इच्छा के विरुद्ध जमीन खोदने का एसईसीएल का कारनामा एक बार फिर सामने आया है, बात महान 3 कोयला खदान अंतर्गत जगन्नाथपुर की है।यहां जिला पंचायत सदस्य सहित ग्रामीणों के विरोध काम नहीं आया और कोयला निकालने एसईसीएल ने पुलिस के साये में पूरी जमीन खोद डाली।एसईसीएल की मनमर्जी के विरोध में सुबह से ही बड़ी संख्या में ग्रामीण इकट्ठा थे,तनाव की स्थिति थी और एसईसीएल के अधिकारी बड़ी संख्या में पुलिस बल के साथ मौजूद थे।बताया जा रहा है कि सुबह कब खुदाई शुरू हुई तो ग्रामीणों ने मशीनों पर पथराव किया था।प्रतापपुर के जगन्नाथपुर,पम्पापुर व अन्य गांव में महान 3(जगन्नाथपुर ओसीएम)खुली खदान संचालित है,अधिकांश ग्रामीणों ने अपनी जमीन तो एसईसीएल को दे दी है लेकिन बहुत से ग्रामीण हैं जो अब भी अपनी जमीन में खेती बाड़ी करना चाहते हैं और कोयला खदान के लिए नहीं देना चाहते हैं।जिला पंचायत सदस्य मंजू मिंज के साथ कई ग्रामीण शुरू से अपनी जमीन देने का विरोध कर रहे थे लेकिन एसईसीएल जमीन अधिग्रहित करने कई तरह के हथकण्डे शुरू से अपना रहा था और अंततः आज पुलिस के साये में उक्त ग्रामीणों की जमीन खोदने में कामयाब भी हो गया।मिली जानकारी के अनुसार एसईसीएल इन ग्रामीणों की जमीन खोदने कई दिनों से प्लानिंग कर रहा था,एसईसीएल की इस तरह की मंशा की जानकारी के बाद ग्रामीण फिर विरोध में उतर गए थे।आज बुधवार को एसईसीएल के अधिकारी राजस्व अमले व पुलिस टीम के साथ उन जमीनों पर पहुंच गए थे जिन्हें लेकर विवाद हो रहा था और उन्होंने सभी जमीनों की खुदाई शुरू कर दी थी।इस बीच जिला पंचायत सदस्य व भूस्वामी मंजू के साथ अन्य भूस्वामियों को इसकी जानकारी लगी तो सभी मौके पर पहुंच गए और अपना विरोध शुरू कर दिया।उन्होंने खुदाई कर रही मशीनों को रोकने का प्रयास किया लेकिन मौजूद पुलिस ने सभी को किनारे कर दिया।इस बीच आक्रमक हुए ग्रामीणों ने मशीनों पर पथराव करना शुरू कर दिया,फिर से पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा और पथराव से ग्रामीणों को रोका,इस दौरान जिला पंचायत सदस्य मंजू मिंज ने मौके पर मौजूद एसडीएम दीपिका नेताम,एसडीओपी अमोलक सिंह ढिल्लो तथा अन्य पुलिस अधिकारियों से बात करने का प्रयास किया लेकिन कोई भी अधिकारी उनकी बात सुनने को तैयार नहीं था और ये बात कहीं जा रही थी कि सबकी जमीन अधिग्रहित हो गई है तथा मुआवजा नियमानुसार कोर्ट में जमा कर दिया गया है।मौके पर यह बातें भी सामने आ रहीं थी कि सूरजपुर कलेक्टर और एसपी के निर्देश पर प्रशासन मौजूद है और एसईसीएल जमीन की खुदाई कर रहा है।समाचार लिखे जाने तक जिला पंचायत सदस्य मंजू मिंज व अन्य ग्रामीण मौके पर डंटे हुए थे और उनकी जमीन से कोयला निकालने का विरोध कर रहे थे।बड़ी संख्या में पुलिस बल भी किसी भी विवाद से निपटने के लिए मौजूद था।
क्या थे आरोप…

ग्रामीणों का आरोप था कि उन्होंने जमीन देने सहमति नहीं दी है लेकिन एसईसीएल जबरन उनकी जमीन हथिया रहा है,उन्हें कोई सूचना दी गई और नहीं कोई नोटिस लेकिन वे हमको नोटिस देना बता रहे हैं।मंजू मिंज ने बताया कि जब उन्होंने सूचना के अधिकारी के तहत जानकारी ली तब पता चला कि उनकी जमीन अधिग्रहित कर ली गई है।उन्होंने जिला प्रशासन और पुलिस पर भी आरोप लगते हुए कहा ये लाठी के बल पर एसईसीएल का काम कर रहे हैं और हमसे हमारी जमीन छीन रहे हैं।उनका आरोप यह भी था कि जिन लोगो से एसईसीएल को समर्थन मिला है,प्रशासन द्वारा धमकी के कारण मजबूरी में मिला है।
कोयला में मिले पचास प्रतिशत की हिस्सेदारी,जमीन रहे हमारे नाम पर….
एसईसीएल द्वारा जबरन जमीन अधिग्रहित करने का विरोध कर रहे ग्रामीणों का कहना था कि वे अपनी जमीन नहीं खोना चाहते इसलिए जमीन उनके नाम पर ही रहे और जब खदान बंद हो जाये तो बराबर करा हमें वापस देदें ताकि फिर से खेती कर सकें।इस तरह से उन्हें अपना गांव छोड़ कर नहीं जाना पड़ेगा।उनकी मांग है कि उन्हें कोई मुआवजा नौकरी नहीं चाहिए बल्कि कोयले के उत्पादन में 50 प्रतिशत का हिस्सा उनका हो।
रोती नजर आईं जिला पंचायत सदस्य…
जिला पंचायत सदस्य मंजू मिंज और उनके परिवार की करीब 15 एकड़ जमीन एसईसीएल क्षेत्र में है,उनके अनुसार उन्होंने अपनी जमीन देने कभी अनुमति नहीं दी और नहीं उन्हें कोई मुआवजा लिया है।उन्होंने कहा कि उनके लिए जमीन महत्वपूर्ण है,अभी तो कुछ सालों से उन्होंने इसमें अच्छे से कमाना सीखा था,आज प्रशासन जिस तरह से एसईसीएल के साथ हमारी जमीन लूट रहा है पीड़ादायक है,ऐसा लग रहा है कि आज हमसे सब कुछ छिनने जा रहा है।अपने विरोध प्रदर्शन के दौरान वे भावुक हो गईं और रोने लगीं थीं।
जमीन वापस नाम में करने 2 साल पहले दिया था आवेदन…
उन्होंने बताया कि जगन्नाथपुर के 21-22 लोगों ने अपनी जमीन एसईसीएल को नहीं दी है जिनमें जिला पंचायत सदस्य मंजू मिंज,बुधराम कुजूर,मंगलसाय व अन्य शामिल हैं।उन्होंने बताया कि उनकी सहमति के बिना ही एसईसीएल ने उनकी जमीन अपने नाम कर ली है,वे सभी दो सालों से जमीन वापस उनके नाम कराने संघर्ष कर रहे हैं लेकिन एसडीएम कलेक्टर कहीं से मदद नहीं मिल रही है।
फावती चढ़ाने मांगते हैं 50 हजार…
यहां के एक पीड़ित किसान ने बताया कि जमीन उनके पिता के नाम पर है जिस कारण उन्हें मुआवजा नहीं मिल रहा है।उन्हें अब अपने नाम से फावती चढ़ानी है जिसके लिये तहसील के चक्कर काट रहे हैं लेकिन सम्बंद्धित अधिकारी कर्मचारी 50 हजार मांगते हैं जो उनके लिए सम्भव नहीं है और उनके नाम से जमीन नहीं हो पा रही है।जमीन को लेकर अन्य काम भी है लेकिन प्रशासन से उन्हें मदद नहीं मिलती है।
एसईसीएल के दलाल,हाइकोर्ट के नाम से वसूलते हैं पैसे..
इन्ही में से कुछ किसानों ने बताया कि एसईसीएल कहता है कि उनकी जमीन के बदले मुआवजा कोर्ट में जमा है जो बिलासपुर हाइकोर्ट से मिलेगा।वे इसके लिए कई बार बिलासपुर जा चुके हैं लेकिन राशि नहीं मिल रही है।हमारे साथ एसईसीएल के दलाल है जो प्रति किसान बड़ी राशि मुआवजा दिलाने के नाम से वसूल चुके हैं।एक किसान ने यह भी कहा कि उनका घर तोड़ दिया गया है लेकिन विस्थापन के नाम से अब तक राशि नहीं मिली है,जब ये विस्थापन की राशि नहीं दे रहे तो पूरी राशि कहां देंगे।