मैं जयस्तम्भ हूँ…मेरा इतिहास पुराना है लेकिन मैं आजाद नहीं हूँ…अतिक्रमणकारियों ने मुझे चारो ओर से घेर रखा है…कोई है जो मुझे आजादी दिलाएगा?  

पहले मै आजाद था आते जाते लोग देख सकते थे..अब मै आजाद नहीं गुमनाम बनकर रह गया… जय स्तंभ…होटल का कचरा से सुशोभित हो रहा..राष्ट्रीय धरोहर को भी नहीं छोड़ रहे यह लोग कौन हैं?

राजेश सोनी

सूरजपुर.  शहीदों की चिताओं पर जुड़ेंगे हर बरस मेले वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशा होगा, इन पंक्तियों को स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के अवसर पर हर जगह उल्लेखित किया जाता है, लेकिन दुर्भाग्य का विषय है कि नगर में बने जयस्तंभ को अतिक्रमणकरियों ने कैद करके रखा है. शहीदी स्मारक की जगह पर दुकानें बनाकर किराए पर दे दिया गया है. जय स्तंभ के सामने नेताओ की बिल्डिंग तो वही दाये में होटल मेडिकल दुकाने शोभित है तो ही बाये में अघोषित अतिक्रमण कर किया गया है तो वही पीछे में बडी इमारतो ने छुपा दिया है. आज इसकी यह हालत हो गई है कि होटल का गंदा पानी कचरा जुठा फेक दिया जाता है जबकि इसके आसपास देश को आजाद कराने वाली पार्टी के नेता रहते है 25 जनवरी को जय स्तंभ के समीप कुछ दुरी पर एक शाम शहीदों के नाम कार्यक्रम का आयोजन कर शहीदों को याद कर देश भक्त बनने की ओड लगी रही. लेकिन ये देश भक्तो में जय स्तंभ को आजाद करने की पहल करने वाले किसी में दम नही है ये सारे कागज के चुहे ही साबित हो रहे…

.मै जय स्तंभ हुं…आज बोल रहा हूं…..मेरे साथ अन्याय हुआ है मेरे आसपास इमारते दुकाने बना कर मुझे कैद कर दिया…उपर से होटल का कचरा… मेरा इतिहास भी पुराना है, लेकिन मैं आजाद नहीं हूं, मुझे आजादी चाहिए कौन दिलाएगा? जब भी लोगो को श्रद्धांजलि अर्पित करनी पड़ती है जयंती मनानी पड़ती है तो लोग कभी कभार मेरे पास आकर यहां दीप जलाकर, पुष्प अर्पित कर अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते है. कभी कभार 26 जनवरी और 15 अगस्त को झंडा फहरता है देशभक्ति की बड़ी बड़ी बातें होती है और चले जाते है लेकिन मुझे अब तक आजाद नहीं करा पाए।

पहले मैं आजाद था यही मेरे समीप बाजर लगती थी सडक पर आते जाते लोगो को देखा करता था. 30 वर्षो से कैद में हूं और नेताओ की साजिश का शिकार होकर अतिक्रमणकारियो की चपेट में हूँ. यह बीती बात है पहले मेरे पास आकर लोग आजादी का जश्न मनाते रहे लेकिन बीते 3 दशकों से जैसे जैसे शहर बढ़ता गया मेरा कद घटता गया और पहचान गुम होती गई. देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है मैं भी आजादी का अमृत महोत्सव मनाना चाहता हूँ, मैं भी आजादी चाहता हूँ जिम्मेदारों से विनती करता हु मुझे आजाद कराए.

मेरी इस स्थिति का जिम्मेदार कौन?

जय स्तंभ राष्ट्र की संपत्ति होती हैं राष्ट्र की धरोहर होते हैं लेकिन उसके आसपास चारो ओर से अतिक्रमण कर ऊँचे मकान दुकान बना लिया गया है और जय स्तंभ का अस्तित्व ही मिटा दिया गया. आज बडे धुम धाम से भारत गणराज्य में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है बड़े बड़े आयोजन हो रहे हैं तिरंगा यात्रा सहित प्रत्येक घरो पर तिरंगा फहराने की तैयारी जोरो पर है  लेकिन दुर्भाग्य है अमर शहीदों की शहादत को याद रखने के लिए बनाया गया जिला मुख्यालय का जय स्तंभ आजाद नहीं हो पाया है जिला प्रशासन सहित नेताओ ने कैद कर रखा है.