बूंद बूंद पानी को तरसते ग्रामीण…..कहा हो सरकार

राजेश सोनी
सूरजपुर-छत्तीसगढ की स्थापना 20 वर्ष होने को है इस दौरान सरकारे विकास की गंगां बहाती रही, विकास यात्रा,लोक सुराज अभियान मे विकास का हेलीकाप्टर जरुर हवा मे उडता रहा।सरकार लाखो करोडो अरबो रुपये ग्रामीणो के उत्थान विकास के नाम पर बहाती रही,नतीजन ग्रामीण जनो का उत्थान तो हुआ नही लेकिन मंत्री नेता अधिकारी का उत्थान जरुर हुआ। बात कर रहे है सूरजपुर जिले के दुरस्थ क्षेत्र बिहारपुर चांदनी का तो यहाँ के कई गांव के ग्रामीण सडक पानी बिजली स्वास्थ शिक्षा सहित मुलभुत बुनियादी आवश्यक सुविधा के मोहताज है। बूंद बूंद पानी के लिये ग्रामीण पहाड जंगल के पथरीली पंगडंडी के रास्तो से सफर कर प्यास बुझा रहे है।

मौरी नाला का पानी के आश्रित भुण्डा गांव के ग्रामीण……..
खोहिर पंचायत के आश्रित गाव भुण्डा में पेयजल के लिए काफी जद्दोजहद करना पड रहा है। पानी के लिए उन्हें पहाड़ के नीचे उतरकर जंगल पगडंडी रास्तो से होकर गुजरना पड़ता है। इस अंचल के ग्रामीणो को शुद्ध पेयजल तक नसीब नही हो रही है पिछले साल मई 2019 मे पहुचविहिन क्षेत्र होने के वजह से पीएचई विभाग के द्वारा कोरिया जिले के सोनहत के रास्ते खनन वाहन भेजकर खनन करवाये गये थे। भुण्डा मे 4 खनन करने पर वहा का जलस्तर 200 फिट के नीचे मिला जिससे वहा पर विभाग ने हैड पम्प नही लगाया| हालाकि विभाग ने खनन वाले स्थान पेयजल उपल्बध कराने के लिये सोलर पावर वाटर पंप का प्रस्ताव बना फाइल क्रेडा विभाग को भेजकर जिम्मेदार अधिकारी भूल गये| खनन के एक साल बीत जाने के बाद भी यहा के ग्रामीणो का दिनचर्या नही बदला अधिकारी जरुर बदले पर ग्रामीणो का पेयजल का समस्या जस का तस रहा। आज भी ग्रामीण जंगल पहाड पगडडी के रास्ते नंगे पैर कटीली रास्तो से भरा दो किलोमीटर दुरी तय कर जान जोखिम मे डालकर मौरी नाला का पानी का उपयोग पेयजल के रुप मे करते है। ग्राम पंचायत के पूर्व सरपंच तेजबली ने बताया कि सुबह होते के साथ ही गांव की महिला सर मे पानी भरने वाले बर्तन, पुरुष कांवर लेकर तो वही छोटे बच्चे भी पहाड जंगल के पगडडी रास्ते पेयजल लेने जाते है मौरी नाला का पानी लेने। वही एक मात्र स्थान है जहा पर पानी उपलब्ध रहता है जिससे पूरा गाव नहाने,बर्तन धोने सहित पेयजल का उपयोग करते है यहा तक की इस नाला से जंगली जानवरो भी प्यास बुझाते है|

मौरी नाला भुण्डा गांव

दो हैडपंप के भरोसे है पूरा गाव……
खोहिर पंचायत के आश्रित ग्राम लुल्ह के ग्रामीण दो हेडपम्म से पुरा गांव निर्भर है कभी यह हेंडपम्प खराब हो जाता है तो यहा के ग्रामीणो को पानी लिए काफी जद्दोजहद करना पड रहा है। पानी के लिए उन्हें हजारों फीट पहाड़ के नीचे उतरकर जंगल पगडंडी रास्तो से होकर गुजरना पड़ता है। हालाकि लुल्ह गांव में पिछले साल मई 2019 मे पहुचविहिन क्षेत्र होने के वजह से सूरजपुर जिला प्रषासन के पहल पर पीएचई विभाग के द्वारा कोरिया जिले के सोनहत के रास्ते खनन वाहन भेजकर खनन करवाये गये थे। लुल्ह मे 8 खनन करने पर 2 मे हैण्ड पंप लगाये गये जिससे ग्रामीणो को पानी नसीब हुआ लेकिन हैण्डपम्प खराब होने से ग्रामीणो को जंगल पहाड पगडडी के तीन किलोमीटर दुरी तय कर जान जोखिम मे डालकर ढोडी का पानी लेने जाना पडता था। ग्रामीण सुबह होते के साथ पानी लेने के लिये ग्रामीण पहाड जंगल के पगडडी रास्ते निकल जाते थे ढोडी का पानी लेने। वही एक मात्र स्थान है जहा पर पानी उपल्बध रहता है|

दो हैडपंप लुल्ह

मध्यप्रदेश का पानी पीते है ग्रामीण……
खोहिर पंचायत के आश्रित गांव बैजनापाठ के ग्रामीणों को पानी केलिए काफी जद्दोजेहद करना पडता है गांव मे 100 घर है पंडोपारा के 50 परिवार के ग्रामीण पहाड पंगडगी के रास्ते 3 किलोमीटर दुर मध्यप्रदेश के जंगल मे स्थित बघौर नाला का पानी लाकर अपनी जरुरते पुरी कर रहे है। तो वही स्कुल पारा के ग्रामीण तीन किलोमीटर से तुर्री नाला से पानी से अपनी जरुरते पुरी कर रहे है। खोहिर ग्राम पंचायत के सरपंच फुलसाय पंडो ने बताया कि 46 लाख 78 हजार की लागत से बने खोहिर-बैजनापाठ मार्ग पर पीएचई व क्रेडा के द्वारा बनाया गया तुर्री के पास टंकी से दुसरे टंकी तक तो पानी पहुच रहा है इसके बाद अन्य जगह पर बनाये स्थानो पर पानी मार्च 2020 से नही पहुच रहा था जिससे ग्रामीणो विवश होकर मध्यप्रदेश के बघौर नाला से पानी लेने जाना पडता है। सरपंच ने बताया कि अभी जिले के कलेक्टर का आवागमन होना है इसलिये गांव मे सभी विभाग के अधिकारी पहुच रहे है जिसके वजह से 2017 मे 46 लाख 78 हजार की लागत से पीएचई व क्रेडा के द्वारा बनाये गये टंकी को फ़िलहाल ठीक दुरुस्त कर दिया गया है|