ब्रेकिंग

शराब के नशे में झूमता मचलता पुलिस का आरक्षक, बीच सड़क गाड़ी खड़ी,झूमता रहा...

एक युवती के दो रूप, दो विभागों में है पदस्थ,एक मे शिक्षिका तो दूसरे में पोस्टमेन, दोनों जगह से मिल रहा वेतन...

ग्राम पंचायत परसदा छोटे के सरपंच सचिव द्वारा फर्जी हस्ताक्षर करने का आरोप

जनदर्शन में लापरवाही, शिकायत के बाद शुरू औपचारिकता मात्र...

BSNL टावर तीन साल से शोपीस, नेटवर्क चालू न होने से ग्रामीणों में आक्रोश...

सूचना

पहल : 109 दिनों बाद धरना प्रदर्शन हुआ समाप्त, हक़ की लड़ाई को मिला आश्वासन...

Pappu Jayswal

Mon, Sep 1, 2025

सूरजपुर. छत्तीसगढ़ सरकार के “सुशासन तिहार” के खिलाफ सूरजपुर जिले के सपहा गांव में 16 मई से शुरू हुई अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन 109 दिन बाद समाप्त हो गई और अबतक सबसे लंबे आंदोलनों में होगा।सपहा गांव में आवश्यक बुनियादी का अभाव है ग्रामवासियों ने पक्की सड़क, पुलिया, सीसी रोड, शुद्ध पेयजल, स्थायी बिजली कनेक्शन, आवास, वन अधिकार पट्टा, कूप निर्माण, सोलर पंप और ड्यूल पंप की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर थे।ग्रामीणों का कहना था कि वर्षों से आवेदन और ज्ञापन देने के बावजूद उनकी सुनवाई नहीं हो रही थी। मजबूर होकर उन्होंने हड़ताल का रास्ता चुना। हड़ताल के 108 दिनों में ग्रामीणों ने कई कठिनाइयाँ झेलीं। नेताओं और अधिकारियों पर आंदोलन तोड़ने की बहुत कोशिश की। इस दौरान स्वास्थ्य सुविधा के अभाव में 5 वर्षीय मासूम रेनू की मौत हो गई जिसके बाद से धरना प्रदर्शन उग्र स्वरूप होने लगा था जिसका नेतृत्व वार्ड पंच लालजी बौद्ध ने किया। आज सपहा गांव में प्रशासनिक अमला पहुँचा। जिसमे अनुविभागीय अधिकारी भैयाथान, जनपद पंचायत सीईओ, पीएचई विभाग के एसडीओ, विद्युत विभाग के अधिकारी समेत अन्य जिम्मेदार विभागों के अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों सहित ग्रामीणों से बैठक कर चर्चा किया और उनकी सभी मांगों को प्राथमिकता से पूरा करने का लिखित आश्वासन दिया गया। इसके बाद आंदोलनकारियों ने हड़ताल समाप्त करने की घोषणा कर दी। ग्रामीणों ने कहा कि अभी वे शासन पर भरोसा कर रहे हैं, लेकिन अगर वादे कागज़ों तक सीमित रहे तो वे और बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे। यह आवाज अब सिर्फ सूरजपुर तक सीमित नहीं रहेगी बल्कि विधानसभा और संसद तक पहुँचेगी।

जिला प्रशासन के लिए बड़ा सबक

सपहा गांव की 109 दिन लंबी लड़ाई ने दिखा दिया कि अब ग्रामीण चुप नहीं रहेंगे। यह हड़ताल केवल एक गांव की कहानी नहीं है, बल्कि पूरे प्रदेश के उन इलाकों की हकीकत को सामने लाती है, जहाँ विकास योजनाएँ कागज़ों पर तो हैं, लेकिन धरातल पर नहीं। सपहा गांव की ऐतिहासिक हड़ताल का समापन तो हो गया है, लेकिन यह सवाल छोड़ गई है कि क्या सरकार वास्तव में अपने वादों पर खरी उतरेगी?

विज्ञापन

विज्ञापन

जरूरी खबरें