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जंगल के लुटेरों का साम्राज्य : गुरु घासीदास नेशनल पार्क से फिर वायरल वीडियो: तस्करों का जंगल पर कब्ज़ा, विभाग मौन”

Pappu Jayswal

Fri, Sep 19, 2025

टाइगर रिज़र्व बनने जा रहा गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान, फिर भी लकड़ी माफ़ियाओं की दबंगई सोशल मीडिया पर उजागर

गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान से वायरल वीडियो ने खोली विभाग की पोल*

तस्करों का बैरियर पार करना हुआ वायरल, गुरु घासीदास उद्यान में संरक्षण की बजाय हो रही लूट

सरकार के टाइगर रिज़र्व दावों के बीच जंगल की तस्करी का वायरल सच”

गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान बना रहा है टाइगर रिज़र्व

फिर भी लकड़ी माफ़ियाओं का कब्ज़ा!

सीमा पर जंगल उजड़ रहे, विभाग चुप क्यों?

सूरजपुर. छत्तीसगढ़–मध्यप्रदेश की सीमा पर फैला गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान, जिसे अब टाइगर रिज़र्व बनाने की प्रक्रिया चल रही है, लगातार लकड़ी माफ़ियाओं की चपेट में है। सरकार जहाँ इस क्षेत्र को वन्यजीव संरक्षण का बड़ा केंद्र बनाने का दावा कर रही है, वहीं ज़मीनी हकीकत यह है कि तस्कर दिनदहाड़े जंगल का सीना छलनी कर रहे हैं और विभाग के कर्मचारी मूकदर्शक बने हुए हैं।

तस्करी का गढ़ बने सीमावर्ती गांव

सीमा क्षेत्र के गाँव चोगा, महुली, कछवारी, रामगढ़, उमझर, रसौकी, खोहीर, बैजनपाठ, लूल्ह, कोल्हुआ, शाहिद और आसपास के दर्जनों गाँव लकड़ी तस्करी के अड्डे बन गए हैं। यहाँ से रोजाना मोटरसाइकिल, साइकिल और यहाँ तक कि कंधों पर लकड़ी ढोकर जंगल से बाहर निकाली जाती है और सीमावर्ती मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले तक पहुँचाई जाती है।

सोशल मीडिया ने खोली पोल

पिछले कुछ दिनों से वायरल हो रहे वीडियो ने विभाग की कार्यशैली को कटघरे में खड़ा कर दिया है। वीडियो में तस्कर मेन रोड कोल्हुआ से होते हुए कोल्हुआ मकरादुवारी बैरियर को आसानी से पार करते नज़र आ रहे हैं। ग्रामीण सवाल उठा रहे हैं कि—

“बैरियर पर चेकिंग रहती है, फिर इतनी बड़ी तस्करी कैसे निकल रही है? क्या इसमें विभागीय कर्मचारियों की मिलीभगत नहीं है?”

तस्करी के तय रास्ते.जंगल से लकड़ी निकालने के लिए तस्कर रोजाना कई मुख्य और गुप्त रास्तों का उपयोग करते हैं बोकराटोला मेन रोड,पठारी पगडंडी मार्ग,मकरादुवारी शिव मंदिर मार्ग,महुली–कोल्हुआ मेन रोड,भाटपारा स्कूल मार्ग इन मार्गों से लकड़ी की ढुलाई बिना किसी रोकटोक के होती रहती है।

विभाग की लापरवाही या मिलीभगत?

ग्रामीणों का आरोप है कि विभागीय लापरवाही ही नहीं, बल्कि कर्मचारियों की मिलीभगत भी इस अवैध कारोबार को पनपा रही है। “यदि विभाग सख्त होता तो तस्करों की हिम्मत नहीं पड़ती कि बैरियर पार कर सकें,” ऐसा कहना है स्थानीय लोगों का।

रेंजर की सफाई

इस संबंध में गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान के रेंजर ललितसाय पैकरा ने स्वीकार किया कि वायरल वीडियो उनके पास भी पहुँचा है। उन्होंने कहा कि“तस्करों की पहचान कर ली गई है और जल्द कार्रवाई की जाएगी। स्टाफ की भारी कमी के कारण निगरानी में कठिनाई होती है, लेकिन प्रयास जारी है।”

पर्यावरण और वन्यजीव पर संकट

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि लकड़ी तस्करी पर रोक नहीं लगाई गई तो जंगल के साथ-साथ वन्यजीवों का भी अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। खासकर जब यह इलाका टाइगर रिज़र्व बनने जा रहा है, तब इस तरह की गतिविधियाँ पूरे प्रोजेक्ट पर सवाल खड़े करती हैं।

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