धरोहर : बैजनपाठ के जंगलों में मिला मध्य पाषाण कालीन शैल चित्र, पुरातत्व विभाग के लिए शोध का बड़ा केंद्र...
Pappu Jayswal
Fri, Oct 24, 2025
बिहारपुर. छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग का सुदूर वनांचल क्षेत्र बैजनपाठ एक बार फिर सुर्खियों में है। ग्राम पंचायत खोहिर के आश्रित ग्राम बैजनपाठ में मध्य पाषाण कालीन युग (लगभग 10 हजार वर्ष पूर्व) के शैल चित्र मिलने से क्षेत्र का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व एक बार फिर उजागर हुआ है। यह खोज न केवल स्थानीय इतिहास को नई पहचान देती है बल्कि पुरातत्व के शोधार्थियों के लिए भी एक महत्वपूर्ण विषय बन सकती है।
स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, बैजनपाठ के अंधियारी छानी गुफा, चोंगो पहाड़ी गुफा, निफार माड़ा गुफा और बघोर गुफा में लाल रंग से बनाई गई चित्रकारी मिली है। इन चित्रों में मनुष्य, जानवर, शिकार के दृश्य, तथा अन्य प्रतीकात्मक आकृतियाँ शामिल हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कला उस युग के आदिम मनुष्य की जीवनशैली, सामाजिक व्यवस्था और धार्मिक विश्वासों को दर्शाती है।
प्राचीन कंगन का मिला अवशेष – रहस्यों से घिरी गुफा
निफार माड़ा गुफा में खुदाई के दौरान एक पुराना कंगन भी मिला है, जो उस समय की धातुकला और आभूषण निर्माण की समझ का संकेत देता है। ग्रामीणों का कहना है कि यह कंगन संभवतः किसी महिला का रहा होगा जो गुफा में निवास करती थी या जंगली जानवर का शिकार बनी होगी। यह खोज उस समय के मानव जीवन की एक झलक प्रस्तुत करती है जब लोग प्राकृतिक खतरों से बचने के लिए गुफाओं को अपना आश्रय बनाते थे।
रहस्यमयी ज़मींदोज — वैज्ञानिकों के लिए पहेली बना स्थल
बैजनपाठ का एक और चमत्कारिक पहलू है — गांव के एक हिस्से में बरसात का पानी एक स्थान पर जमीन के भीतर समा जाता है, परंतु यह ज्ञात नहीं कि वह पानी कहां जाकर निकलता है। यह रहस्यमयी स्थल वर्षों से स्थानीय निवासियों के लिए कौतूहल का विषय बना हुआ है। वैज्ञानिक दृष्टि से यह भूगर्भीय संरचना या प्राकृतिक भूमिगत जलमार्ग का परिणाम हो सकता है।
सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण की उठी मांग
स्थानीय बुद्धिजीवियों और जनप्रतिनिधियों ने राज्य सरकार एवं पुरातत्व विभाग से आग्रह किया है कि इस क्षेत्र का वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराया जाए ताकि यहां मिले शैल चित्रों और अवशेषों का संरक्षण हो सके। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इसे संरक्षित कर विकसित किया जाए, तो बैजनपाठ छत्तीसगढ़ का अगला ऐतिहासिक पर्यटन स्थल बन सकता है।
इतिहासकारों का कहना है कि सरगुजा संभाग का यह इलाका पूर्व से ही रामगढ़, सीता लेखनी, और अन्य पुरातात्त्विक स्थलों की खोजों के लिए प्रसिद्ध रहा है। बैजनपाठ की यह नई खोज उस विरासत में एक और अनमोल अध्याय जोड़ती है।
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